बिश्व

बज्यैका कारण आजीवन टुटेको बिहे

जाएँ तो जाएँ कहाँ, समझेगा कौन यहाँ दर्द भरे दिल की जुबां । मायुसिओं का मजमा है जी में क्या रह गया है इस जिन्दगी में रूह में गम, दिल में धुआँ जाएँ तो जाएँ कहाँ । उन का भी गम है, अपना भी गम है अब दिलके बचने की उम्मिद कम है एक कश्ती, सौ तुफाँ, जाएँ तो जाएँ कहाँ,  समझेगा कौन यहाँ । सन् १९५४ मा प्रदर्शित हिन्दी चलचित्र ‘ट्याक्सी ड्राइभर’ का निम्ति साहिर लुधियानवीद्वारा रचित यो गीत नायक र नायिकालाई छुट्टाछुट्टै गाउन लगाइएको छ । तलत महमुद र…

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